चुनाव आयोग
भारत निर्वाचन आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाया, जिनमें यूपी के 115 दल शामिल हैं। 6 साल से चुनाव न लड़ने और पते पर वजूद न होने पर कार्रवाई, अब नहीं मिलेंगे टैक्स छूट और चुनाव चिह्न का लाभ।

नई दिल्ली/लखनऊ।
भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सख्त कदम उठाते हुए 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया है। इनमें उत्तर प्रदेश के 115 राजनीतिक दल भी शामिल हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक, यह कार्रवाई लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29बी और 29सी, आयकर अधिनियम 1961 और चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के प्रावधानों के तहत की गई है। इन दलों को अब पंजीकृत दलों को मिलने वाले किसी भी कानूनी लाभ का अधिकार नहीं होगा, जिसमें आयकर छूट और चुनाव चिह्न आवंटन जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

क्यों की गई कार्रवाई?
आयोग ने पाया कि कई दल लगातार 6 वर्षों से कोई चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) नहीं लड़ रहे थे और पंजीकरण के समय दिए गए पते पर उनका अस्तित्व ही नहीं है।
जून 2025 में चुनाव आयोग ने 345 RUPPs की सत्यापन जांच शुरू की थी, जिसमें से 334 दल मानदंडों के उल्लंघन में पाए गए।

यूपी के 115 दल सूची से बाहर
9 अगस्त 2025 को जारी आदेश के तहत उत्तर प्रदेश के 115 दलों को भी सूची से बाहर कर दिया गया। आयोग की जांच में पाया गया कि ये दल न तो चुनाव में सक्रिय थे और न ही पंजीकृत पते पर मौजूद।
अब नहीं मिलेंगे ये लाभ
सूची से बाहर किए गए दल अब:
- आयकर अधिनियम 1961 के तहत टैक्स छूट
- चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के तहत मिलने वाले अधिकार
- चुनावी मान्यता से जुड़ी अन्य सुविधाएं
का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
अपील का मौका
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी दल को इस फैसले पर आपत्ति है तो वह आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है।
रिपोर्ट – नौमान माजिद

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Author: Barabanki Express
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