
महोबा, यूपी।
जनपद महोबा का खरेला कस्बा इन दिनों एक वायरल वीडियो और प्रशासन के बुलडोजर एक्शन को लेकर सुर्खियों में है। सरकारी जमीन पर 30 साल से अधिक पुराने कब्जे को ढहाने पहुंचे प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली। वायरल वीडियो में एसडीएम चरखारी डॉ. प्रदीप कुमार कथित तौर पर “अरे चढ़ाओ यार” कहते और एक युवक से मारपीट करते नजर आ रहे हैं, जबकि पुलिसकर्मी युवक की पिटाई करते दिख रहे हैं। हालांकि, भारी विरोध के बावजूद प्रशासन ने अंततः मकान को ढहा दिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला खरेला कस्बा के रामेश्वर सिंह (60) से जुड़ा है, जो बीते 33 वर्षों से सरकारी जमीन पर पक्का मकान बनाकर रह रहे थे और वाहन धुलाई सेंटर चला रहे थे। उनके परिवार का दावा है कि यह मकान नगर पंचायत में 1989 से दर्ज है और 2017 तक नियमित रूप से गृहकर भी जमा किया गया था। 2020 में मकान पर बिजली का कनेक्शन भी लिया गया था।
बुलडोजर एक्शन और हाई वोल्टेज ड्रामा
बीती गुरुवार को चरखारी उप जिलाधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार, तहसीलदार आलोक मिश्रा, थाना अध्यक्ष सुषमा चौधरी और राजस्व व नगर पंचायत कर्मियों के साथ बुलडोजर लेकर अवैध कब्जा हटाने के लिए मौके पर पहुँचे। उन्होंने पक्का निर्माण ढहाने का प्रयास किया। इसे लेकर रामेश्वर, उनके परिवार की महिलाएं (जिनमें उनकी पत्नी शकुंतला देवी भी शामिल थीं) और बच्चे बुलडोजर के आगे आकर विरोध करने लगे। महिलाओं ने मानव श्रृंखला बनाकर मकान को गिराने का विरोध किया।

कब्जाधारकों ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई पूर्व नोटिस नहीं मिला था। लगभग 2 घंटे से अधिक समय तक चले इस हाई वोल्टेज ड्रामा के दौरान रामेश्वर की पत्नी शकुंतला देवी (65) अचेत होकर गिर गईं, जिससे प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। बाद में, पुलिस ने रामेश्वर के भतीजे योगेंद्र (कुछ रिपोर्ट्स में नागेंद्र) की पिटाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया और इसके बाद कब्जा ढहा दिया गया।
वायरल वीडियो और आरोप-प्रत्यारोप
सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे वीडियो में एसडीएम डॉ. प्रदीप कुमार कथित तौर पर महिलाओं को धमकाते हुए कह रहे हैं, “इन पर भी बुलडोजर चढ़ा दो।” वीडियो में उन्हें एक युवक (योगेंद्र/नागेंद्र) के साथ मारपीट करते, उसका गला पकड़कर गिराते हुए भी देखा जा सकता है। पुलिसकर्मी भी युवक को थप्पड़ मारते और उसके बाल खींचते हुए उसे जीप में भरकर ले जाते दिख रहे हैं।
महिलाओं ने एसडीएम से नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा किए गए कब्जों पर भी बुलडोजर चलाने की बात कही। रामेश्वर के भतीजे रविंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि इलाके में कई अन्य सार्वजनिक खलिहानों, पहाड़ और तालाब की जमीन पर प्रभावशाली लोगों द्वारा बनाए गए मकान आज भी मौजूद हैं, लेकिन केवल उनके मकान को ही निशाना बनाया गया है, जो पक्षपात को दर्शाता है।
बिना नोटिस कार्रवाई पर उठे सवाल, मंत्री तक पहुंचा मामला
स्थानीय लोगों का कहना है कि मकान का मामला सिविल कोर्ट में विचाराधीन है, फिर भी बिना किसी नोटिस के यह कार्रवाई की गई। लोगों ने सवाल उठाए कि अगर यह अतिक्रमण था तो प्रशासन ने बीते 33 वर्षों तक इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया, और नगर पंचायत से प्रमाणित भवन पर कर वसूली व बिजली कनेक्शन कैसे दिए गए।

वहीं, शुक्रवार को जब यह मामला जिले के प्रभारी मंत्री एवं नगर विकास राज्य मंत्री राकेश राठौर तक पहुंचा तो हड़कंप मच गया। चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कब्जाधारकों ने प्रभारी मंत्री से प्रशासन के द्वारा पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच कराने की मांग की है।
एसडीएम ने दी सफाई: “डराने के लिए धमकाया था”
एसडीएम डॉ. प्रदीप कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए बताया कि यह नगर पंचायत की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा था, जिस पर वाहन धुलाई सेंटर बनवाया जाना है। उन्होंने दावा किया कि इस संबंध में पूर्व में कई बार नोटिस भी दिया गया था और थाना दिवस में भी उन्हें बुलाकर अवैध कब्जा हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी।
एसडीएम ने वायरल वीडियो में अपनी भाषा पर सफाई देते हुए कहा कि “उनके द्वारा जो भाषा बोली गई, वह सिर्फ डराने के लिए बोली गई थी।” उन्होंने इसे “स्वरचित षड्यंत्र” बताया, जिसमें महिलाओं को जानबूझकर आगे किया गया। उन्होंने आगे कहा, “बाकी इतना तो संज्ञान में होता है कि हमें करना क्या है।”
यह घटना महोबा में अतिक्रमण हटाने और प्रशासनिक कार्रवाई के तरीके को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर चुकी है।
रिपोर्ट – नौमान माजिद
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Author: Barabanki Express
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