Barabanki: आस्था और भाईचारे का प्रतीक मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रह.अ. का 592वां उर्से-मुबारक संपन्न, बड़ी संख्या में जायरीन ने पेश की अकीदत

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बाराबंकी में सूफी संत हज़रत मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का 592वां उर्से-मुबारक अकीदतमंदाना माहौल में संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में जायरीन ने शिरकत कर अमन, भाईचारे और इंसानियत की दुआ मांगी।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

आस्था, मोहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम देने वाले सूफी संत हज़रत मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का 592वां उर्से-मुबारक (कुल शरीफ) दरगाह शरीफ पर बड़े ही अकीदतमंदाना माहौल में संपन्न हुआ।

दरगाह परिसर में नमाज़-ए-ईशा के बाद आयोजित कुल शरीफ में बड़ी संख्या में जायरीन ने शिरकत की और हज़रत मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रह० के अलावा हकीम शेख अब्दुल गनी उर्फ बन्ने मियाँ मरहूम, पूर्व सज्जादानशीन को भी ख़िराजे अकीदत पेश किया।

Barabanki: आस्था और भाईचारे का प्रतीक मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रह.अ. का 592वां उर्से-मुबारक संपन्न, बड़ी संख्या में जायरीन ने पेश की अकीदत

सूफियाना माहौल और इंसानियत का संदेश

इस मौके पर दरगाह शरीफ के मुतवल्ली व सज्जादानशीन शेख काशिफ ज़िया मखदूमी ने अपने बयान में कहा कि

 “हमें अपने बुजुर्गों, पीरों और सूफी संतों की शिक्षा से यह पैग़ाम मिलता है कि अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलना ही असली कामयाबी है। सभी मजहब और मसलक के मानने वाले एक ही अल्लाह के बंदे हैं। इंसानियत का तक़ाज़ा है कि हम सब एक-दूसरे से मोहब्बत करें और ज़रूरतमंदों की मदद करें।”

 

 

कुल शरीफ के बाद दरगाह परिसर में दुआख़्वानी हुई, जिसमें अमन, सलामती और भाईचारे की दुआ मांगी गई। पूरे आयोजन में सूफियाना कलाम, इबादत और इंसानियत का संदेश गूंजता रहा।

 

बड़ी संख्या में अकीदतमंदों की मौजूदगी

इस मौके पर नायब मुतवल्ली व नायब सज्जादानशीन शेख तालिब ज़िया मखदूमी, सैयद जफरुल इस्लाम, नसीम गुड्डू, मो. इश्तियाक, मो. गुफरान, हाफिज़ मो. शकील (इमाम दरगाह), मास्टर जावेद, इब्राहीम, मो. नसीम अंसारी, नासिर सलमानी, मो. फारूक, मो. साद, मो. कफील, राजकुमार, कलीम मजनू
सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत कर बुजुर्गों को ख़िराजे अकीदत पेश किया।

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अमन और एकता का पैग़ाम

पूरे कार्यक्रम में अमन, एकता और इंसानियत का पैग़ाम दिया गया। जायरीन ने कहा कि हज़रत मखदूम शेख हिसामुद्दीन चिश्ती रह.अ. की दरगाह आज भी धर्मनिरपेक्ष एकता और आपसी सद्भाव का प्रतीक है।


रिपोर्ट – आफ़ताब अहमद 

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Barabanki Express
Author: Barabanki Express

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