
बाराबंकी-यूपी।
राज्य सरकार का प्रतीक चिह्न, लेटर पैड, विजिटिंग कार्ड आदि का प्रयोग किया जाना सरकार की गरिमा और अधिकार का विषय है। लेकिन काफी संख्या में लोगो द्वारा अपने निजी फायदे के लिए शासकीय चिह्न के गलत तरीके से इस्तेमाल की शिकायतों के मद्देनजर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी सुशासन की नीति के तहत शासकीय चिह्न के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया है। जिसके तहत सरकारी लोगो के गलत इस्तेमाल के मामले में दोषी पाए जाने पर दो वर्ष की सजा व 5 हजार रुपये जुर्माने का प्राविधान है। लेकिन सीएम की क्लीयर कट मंशा के बावजूद राजधानी से सटे बाराबंकी ज़िले में शासकीय चिह्न का दुरुपयोग करने वाले दबंगों के रसूख के चलते पुलिस कार्रवाई का साहस नही जुटा पा रही है।
पुलिस के इक़बाल को सवालों के घेरे में खड़ा करने वाली यह घटना बीते 18 अप्रैल 2024 की है। जब शासकीय चिह्न लगी सफेद रंग की स्कोर्पियो गाड़ी नम्बर UP 41 AE 1234 पर सवार चार-पांच युवकों ने मुकदमे की पेशी कर अपने भाई व मां के साथ वापस घर जा रही महिला की कार में टक्कर मारकर सट्टी बाजार मोड़ पर रोक लिया। आरोपियों जिनमे महिला का पति जावेद भी शामिल था ने मुकदमा वापस न लेंने पर जान से मारने की धमकी देते हुए महिला के साथ मारपीट और सार्वजनिक तौर पर आपत्तिजनक हरकते करी। महिला के साथ मौजूद उसकी दोनों बेटियों का अपहरण करने का भी प्रयास किया गया। साथ मौजूद मां व भाई ने बचाने की कोशिश की तो उन्हें भी पीट दिया गया।

दिन दहाड़े बीच सड़क गुंडागर्दी देख आसपास के लोग व राहगीर इकट्ठा हो गए। इन्ही में से कुछ साहसी लोगो ने बच्चियों को लेकर भाग रहे युवकों को स्कोर्पियो समेत दबोच लिया और मौक़े पर पहुंची पुलिस के हवाले कर दिया। कोतवाली लाए गए दोनो युवकों पर पुलिस ने शांतिभंग की कार्रवाई तो करी लेकिन निजी वाहन पर शासकीय चिह्न लगाकर दुरुपयोग के मामले में पुलिस कार्रवाई का साहस नही जुटा सकी और बिना कोई कार्रवाई के ही उक्त स्कोर्पियो वाहन को छोड़ दिया गया।


कोतवाली पुलिस की यह कार्यवाही पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। जिसे लेकर लोग तरह तरह की बाते करते सुने जा रहे है। अब देखने वाली बात यह होगी कि बाराबंकी के नवागत पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय शासकीय चिह्न लगाकर गुंडागर्दी और दहशतगर्दी करने वाले रसूखदारों को कानून के दायरे में लाकर खाकी के इक़बाल को दोबारा कायम कर पाते है या सारे नियम कानून सिर्फ़ समाज के गरीब और कमजोर लोगो पर ही लागू होते है।

रिपोर्ट – कामरान अल्वी
Author: Barabanki Express
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