Barabanki:
बाराबंकी में दुर्गा पूजा पंडाल से वायरल हुआ वीडियो — पुलिस की मौजूदगी में युवक ने अजगर के साथ किया खतरनाक स्टंट। वन्यजीव संरक्षण कानून की धज्जियां उड़ने के बावजूद पुलिस और वन विभाग की चुप्पी पर उठा सवाल।

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)।
यूपी के बाराबंकी जिले के बड्डूपुर थाना क्षेत्र से आया एक वीडियो पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गम्भीर सवाल खड़े कर रहा है।
थाना क्षेत्र के खंता गांव के दुर्गा पूजा पंडाल में पुलिसकर्मियों की आंखों के सामने ही वन्यजीव संरक्षण कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं — और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी तमाशा देखते रहे।
पुलिस की मौजूदगी में ‘अजगर शो’ — ऑन कैमरा उड़ी कानून की धज्जियां
ज़िले के बड्डूपुर थाना क्षेत्र के खंता गांव में आयोजित दुर्गा पूजा पंडाल से वायरल हुए वीडियो में एक युवक भगवान शिव की वेशभूषा में करीब सात फीट लंबे अजगर को गले में लपेटे हुए डांस करता नज़र आ रहा है।
वह बार-बार अजगर का मुंह अपने मुंह में डालने की कोशिश करता है — जबकि स्टेज के ठीक पीछे बैठे दो पुलिसकर्मी हल्का नंबर तीन के दरोगा अखिलानंद और दीवान नौशाद अली इस खतरनाक करतब का आनंद लेते दिखाई दे रहे हैं।
यानी कानून लागू कराने वाले ही कानून की धज्जियां उड़ती देख रहे थे — पर रोकने की कोशिश तक नहीं की।
क्या कहता है भारत का वन्य जीव संरक्षण अधिनियम?
भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के अनुसार,
अजगर (Python) एक Schedule-I प्रजाति का जीव है — यानी इसे पालना, रखना, बेचना या प्रदर्शन में दिखाना गंभीर अपराध है।
🔹 धारा 9 और 49 के तहत —
- अजगर को पकड़ना, पालना या झांकी में उपयोग करना कानूनन प्रतिबंधित है।
- इस अपराध पर 3 से 7 साल तक की कैद और ₹10,000 से ₹25,000 तक का जुर्माना हो सकता है।
- अपराध दोहराने पर सजा और भी कठोर हो सकती है।
इसके बावजूद, यह पूरा ‘शो’ पुलिस की मौजूदगी में हुआ — और अब तक किसी के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
11 दिन बाद भी नहीं हुई कार्रवाई — वन विभाग और पुलिस की ‘चुप्पी’
यह वीडियो 1 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
अब 11 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन न तो कार्यक्रम के आयोजकों के ख़िलाफ़ एक्शन लेने का साहस ही जुटा सका है और न ही अजगर के साथ शो करने वाले युवक का सुराग ही लगा सका है। मानो उसे ज़मीन निगल गई हो या आसमान खा गया हो।
वन विभाग भी आरोपी युवक के खिलाफ कार्यवाही से बचता नज़र आ रहा है। वन दरोगा सुभाष कुमार की माने तो 11 दिन बीतने के बाद भी यह पता नहीं लगा सके कि “मंडली कहां से आई और किसने बुलाई थी।”
इस जवाब ने खुद वन विभाग की अक्षमता और सुस्ती को उजागर कर दिया है।
वन्यजीव प्रेमियों और आम जनता का गुस्सा
पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वन्यजीव प्रेमियों में विभागीय निष्क्रियता को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है —
“वीडियो में सबूत साफ हैं। पुलिस मौके पर मौजूद थी। फिर कार्रवाई में देरी क्यों? क्या प्रशासन किसी दबाव में है?”
सवाल ये भी है कि जब एक आम नागरिक पर मामूली गलती पर तुरंत मुकदमा दर्ज हो जाता है, तो यहां पुलिस की मौजूदगी में संरक्षित प्रजाति के साथ खतरनाक स्टंट करने वालों पर चुप्पी क्यों?
क्या बाराबंकी में वन्यजीव संरक्षण कानून ‘कागज़ी’ बन गया है?
यह मामला सिर्फ एक वीडियो का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की मानसिकता का आईना है। जब पुलिस खुद मौके पर मौजूद होकर कानून तोड़ते देखती रहे और वन विभाग 11 दिन में भी आरोपियों का पता न लगा सके, तो यह सवाल उठना लाजमी है —
“क्या कानून सिर्फ आम जनता के लिए है, और अधिकारियों के लिए नहीं?”
आरोपी युवक, आयोजक पर FIR और लापरवाह पुलिसकर्मियों के निलंबन की उठी मांग
स्थानीय समाजसेवियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने डीएम और एसपी बाराबंकी से मांग की है कि —
- आरोपी युवक की तुरंत गिरफ्तारी की जाए।
- अजगर को सुरक्षित बरामद कर वन विभाग को सौंपा जाए।
- घटना के समय मौजूद दरोगा अखिलानंद व दीवान नौशाद अली के खिलाफ विभागीय जांच कर निलंबन की कार्रवाई की जाए।
लोगों का कहना है कि अगर इस बार कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह “कानून को ठेंगा दिखाने” वालों के लिए खतरनाक मिसाल बन जाएगी।
निष्कर्ष
बाराबंकी का यह मामला बताता है कि जब कानून के रखवाले ही मूकदर्शक बन जाएं, तो फिर अपराधियों के हौसले बुलंद होना तय है। अब पूरा ज़िला प्रशासन और वन विभाग जनता की निगाहों में है — क्या वो सच में न्याय करेंगे, या फिर ये मामला भी फाइलों के ढेर में दबकर रह जाएगा?
रिपोर्ट – ललित राजवंशी
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Author: Barabanki Express
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