Lucknow: ‘पोस्टर पॉलिटिक्स’ में आया नया मोड़, BJP नेता की तहरीर पर 8 सपा नेताओं पर FIR दर्ज; चढ़ा राजधानी का सियासी पारा

 


लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन पर लखनऊ में शुरू हुआ ‘पोस्टर वॉर’ अब कानूनी दांवपेच में उलझ गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अमित त्रिपाठी द्वारा लगाए गए विवादित पोस्टरों को फाड़ने के आरोप में 8 समाजवादी पार्टी (सपा) नेताओं पर हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस घटना ने राजधानी की सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया है।
दरअसल, अखिलेश यादव के जन्मदिन के अवसर पर भाजपा नेता अमित त्रिपाठी ने लखनऊ के कई प्रमुख स्थानों, जैसे 1090 चौराहा और हजरतगंज चौराहे के पास, ऐसे पोस्टर लगवाए थे, जिनमें अखिलेश यादव को ‘जन्मदिन की शुभकामनाएं’ देते हुए उन पर तंज कसा गया था। इन पोस्टरों में अखिलेश यादव को “दलितों से लाभ लेने वाले, ब्राह्मणों के नाम पर वोट लेने वाले, पिछड़ों को सिर्फ वोट बैंक समझने वाले, गुंडे और बदमाशों की फौज के लीडर, माफियाओं का हर सुख-दुख में साथ देने वाले, उत्तर प्रदेश को आपराधिक प्रदेश में तब्दील करने वाले नेता” बताया गया था। पोस्टर में यह भी लिखा था, “श्रीराम से कामना है आप सत्ता में ना आएं।”
इन व्यंग्यात्मक और तीखे पोस्टरों को देखकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भड़क उठे। 1090 चौराहे पर लगे पोस्टर को लाल टोपी पहने सपा कार्यकर्ताओं ने फाड़ दिया और अखिलेश यादव के समर्थन में नारे लगाए। सपा ने इन पोस्टरों को भाजपा की घटिया राजनीति और अखिलेश यादव की छवि खराब करने की साजिश करार दिया।
अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। भाजपा नेता अमित त्रिपाठी ने पोस्टर फाड़ने वाले सपा नेताओं के खिलाफ हजरतगंज थाने में FIR दर्ज कराई है। जिन आठ लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उनमें प्रमुख रूप से सुनील यादव (राष्ट्रीय सचिव, छात्र सभा), पवन सरोज, मनीष यादव, दिनेश यादव, बृजमोहन यादव, सुशील पांडे, कौस्तुभ तिवारी और शैलेंद्र यादव शामिल हैं। इन सभी पर धारा 352 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 351(3), 353(2) (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), और 66 (आईटी एक्ट से संबंधित) में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सके। यह घटना दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में पोस्टर पॉलिटिक्स अब सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने कानूनी रूप ले लिया है। दोनों ही प्रमुख दल आगामी चुनावों से पहले एक-दूसरे पर हमलावर हैं, और ऐसे विवादित मामले सियासी तापमान को लगातार बढ़ा रहे हैं।
रिपोर्ट – नौमान माजिद 

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Author: Barabanki Express

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