बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर आज शनिवार, 5 जुलाई, 2025 को बाराबंकी का अधिवक्ता समाज सड़कों पर उतर आया। जिला बार एसोसिएशन बाराबंकी के नेतृत्व में सैकड़ों अधिवक्ताओं ने सिविल कोर्ट से एसपी ऑफिस तक एक विशाल पैदल मार्च निकाला। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य प्रशासन और सरकार का ध्यान उनकी जायज मांगों की ओर आकर्षित करना था।
टोल टैक्स माफी की मांग:
अधिवक्ताओं की प्रमुख मांगों में से एक बाराबंकी में संचालित दो नेशनल हाईवे टोल टैक्स केबिनों (शहावपुर और अहनदपुर) पर टोल टैक्स से मुक्ति दिलाना है। जिला बार एसोसिएशन का कहना है कि ये टोल केबिन विधि विरुद्ध तरीके से संचालित हैं। अधिवक्तागण, जो कोर्ट ऑफिसर की श्रेणी में आते हैं, उन्हें वादकारियों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिदिन जनपद मुख्यालय आना-जाना पड़ता है। ऐसे में उनसे चार पहिया वाहनों का टोल टैक्स वसूलना न्यायसंगत नहीं है। इस संबंध में जिला बार एसोसिएशन बाराबंकी द्वारा पूर्व में सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है। अधिवक्ताओं का मानना है कि न्याय हित में यह आवश्यक है कि उनके वाहनों के लिए टोल टैक्स माफ किया जाए।
बाराबंकी को लखनऊ मंडल में शामिल करने की अपील:
अधिवक्ताओं ने बाराबंकी को अयोध्या मंडल के स्थान पर लखनऊ मंडल में शामिल करने की भी जोरदार मांग की। उनका तर्क है कि बाराबंकी से लखनऊ मंडल की दूरी मात्र 30 किलोमीटर है, जबकि अयोध्या मंडल बाराबंकी से 100 किलोमीटर दूर स्थित है। इतनी अधिक दूरी के कारण अधिवक्ताओं और वादकारियों को न्याय प्राप्त करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आवागमन में ही उनका अधिकांश समय बीत जाता है, जिससे नियत तारीखों पर कार्य निष्पादित नहीं हो पाता और उन्हें अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिला बार एसोसिएशन की आमसभा में भी इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है, जिसमें बाराबंकी को लखनऊ मंडल में शामिल करना न्यायोचित बताया गया है।
रुदौली तहसील को पुनः बाराबंकी में शामिल करने की ऐतिहासिक मांग:
अधिवक्ताओं ने रुदौली तहसील को पुनः बाराबंकी जनपद में शामिल करने की पुरानी और ज्वलंत मांग को भी पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने बताया कि रुदौली तहसील हमेशा से बाराबंकी का अभिन्न अंग रही है, लेकिन मायावती सरकार ने जनभावनाओं के विरुद्ध रुदौली को फैजाबाद/अयोध्या जनपद में शामिल कर दिया था। हालांकि, मुलायम सिंह सरकार ने 24 जनवरी 2004 को इसे वापस बाराबंकी में शामिल कर दिया था, जिससे जनता में खुशी की लहर दौड़ गई थी।
लेकिन, मायावती सरकार ने 31 अक्टूबर 2007 को बदले की भावना से बिना किसी मांग के रुदौली को पुनः फैजाबाद जनपद में शामिल कर दिया। तब से लगातार जन आंदोलन जारी है। अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को उनके 24 फरवरी 2017 को मवई चौराहा पर दिए गए चुनावी वादे की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने सरकार बनने पर रुदौली तहसील को पुनः बाराबंकी में जोड़ने का आश्वासन दिया था।
उन्होंने यह भी बताया कि 13 जुलाई 2017 को जिला बार एसोसिएशन बाराबंकी और रुदौली तहसील वापसी संघर्ष समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन विधायक शरद अवस्थी के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन दिया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही थी।
रुदौली क्षेत्र की जनता ने भी 29 अगस्त 2017 को एक आवेदन पत्र मुख्यमंत्री को भेजा था, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी बाराबंकी द्वारा 20 सितंबर 2017 को भेजी जा चुकी है। जिला बार एसोसिएशन बाराबंकी की आमसभा द्वारा भी इस संबंध में पूर्व में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
इस पैदल मार्च में नरेंद्र कुमार वर्मा (अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन), रितेश कुमार मिश्र (वरिष्ठ उपाध्यक्ष), रामराज यादव (महामंत्री), पवन कुमार मिश्र (उपाध्यक्ष प्रथम), मनोज कुमार सिंह (उपाध्यक्ष द्वितीय), अनुराग शुक्ल (कोषाध्यक्ष), देवराम यादव (संयुक्त मंत्री प्रशासन प्रभारी), नवीन कुमार रस्तोगी (संयुक्त मंत्री प्रकाशन), सुषमा शर्मा (संयुक्त मंत्री पुस्तकालय प्रभारी), पंकज कुमार वर्मा, अम्बरीश श्रीवास्तव, सतीश चन्द्र सोनी, संतोष कुमार, रमेश चन्द्र भारती, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, गौरव कुमार गुप्ता, हिमालय जायसवाल, पंकज कुमार रावत, राहुल कुमार वर्मा, नवनीत कुमार वर्मा और मनोज कुमार मिश्र सहित सैकड़ों अधिवक्ता साथी मौजूद रहे। अधिवक्ताओं ने उम्मीद जताई कि उनकी जायज मांगों पर सरकार और प्रशासन शीघ्र संज्ञान लेगा।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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