Barabanki: जिस अस्पताल में स्टाफ की कमी, वही की उपचारिका तीन साल से मुख्यालय से संबद्ध; DEO पर साठगांठ के आरोप, डीएम से शिकायत

 


बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
कोविड काल के बाद से आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है, जिसके चलते सभी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, कर्मचारियों की कमी मरीजों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इसी क्रम में, हैदरगढ़ के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में कर्मचारियों की भारी कमी के बावजूद, वहाँ तैनात एक उपचारिका पिछले तीन सालों से जिला मुख्यालय पर ड्यूटी कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यालय पर पहले से ही पद के सापेक्ष पर्याप्त कर्मचारी तैनात हैं।
हैदरगढ़ अस्पताल में तीन ही कर्मचारी:
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, हैदरगढ़ में रोजाना औसतन 60 से 70 मरीज आते हैं। मरीजों को बेहतर सुविधाएँ और सहयोग प्रदान करने के लिए यहाँ उपचारिका के चार पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल तीन उपचारिकाएँ ही ड्यूटी कर रही हैं। छह साल पहले यहाँ तैनात हुईं उपचारिका शैलजा चौधरी पिछले तीन साल से नगर के आवास विकास स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय से संबद्ध हैं। इस वजह से हैदरगढ़ स्थित अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी हो गई है। वहीं, नगर के अस्पताल में उपचारिका के चार पद होने के बावजूद शैलजा चौधरी पाँचवें कर्मचारी के तौर पर वहाँ जमी हुई हैं।
नगर के चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि उनके अस्पताल में भी रोजाना 60 से 70 मरीज ही आते हैं। यानी दोनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगभग औसत है, इसके बावजूद एक अस्पताल में कर्मचारी कम हैं और दूसरे में ज्यादा।
डीएम से शिकायत, सहकर्मियों में आक्रोश:
शहर के बड़ेल निवासी अजय कुमार सिंह ने इस विसंगति को लेकर जिलाधिकारी से शिकायत की है। उन्होंने माँग की है कि उपचारिका शैलजा चौधरी की संबद्धता मुख्यालय से समाप्त कर उन्हें उनके मूल तैनाती स्थल हैदरगढ़ अस्पताल भेजा जाए।
हैदरगढ़ अस्पताल में शैलजा चौधरी के ड्यूटी पर न आने से अन्य तीन उपचारिकाओं में भी भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि शैलजा चौधरी विभाग के अधिकारियों (DEO) से सांठगांठ कर नगर में ड्यूटी कर रही हैं, जबकि उन्हें (अन्य कर्मचारियों को) रोजाना 55 किलोमीटर दूर हैदरगढ़ आना पड़ता है। यह स्थिति कर्मचारियों के बीच असंतोष पैदा कर रही है और मरीजों की सेवा पर भी असर डाल रही है।
इस मामले में DEO का पक्ष जानने के लिए बाराबंकी एक्सप्रेस संवाददाता ने उनके मोबाइल नंबर पर सम्पर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनके द्वारा कॉल रिसीव न करने से उनका पक्ष नहीं पता चल सका है।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद 

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Author: Barabanki Express

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