बाराबंकी, यूपी।
जिले की सड़कों पर हजारों की संख्या में खड़े सूखे और जर्जर पेड़ बड़े हादसों का सबब बन चुके हैं। लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर सफदरगंज के पास, हैदरगढ़ रोड पर भानमऊ के पास, सफदरगंज-बदोसराय रोड पर परसा के पास, हरख-सतरिख रोड और जिले की विभिन्न अन्य सड़कों पर ये पेड़ राहगीरों और वाहन चालकों के लिए खतरा बने हुए हैं। पिछले तीन सालों से लगातार शिकायतें करने के बावजूद इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है।
स्थानीय अधिवक्ता अजय सिंह वर्मा पिछले तीन सालों से जनहित में ऐसे पेड़ों को हटवाने के लिए जिलाधिकारी (DM) और मुख्यमंत्री (CM) समेत एक दर्जन से अधिक शिकायतें कर चुके हैं। हाल ही में, उनकी शिकायत पर जिलाधिकारी ने प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) से जवाब तलब किया था। डीएफओ ने अपनी आख्या में यह स्वीकार किया है कि उनके स्तर से वन निगम को 6 महीने में 13 पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन वन निगम इन पेड़ों को हटवाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
वन निगम की प्राथमिकता और जनता का खामियाजा
रिपोर्ट के अनुसार, वन निगम मुख्य रूप से सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं के लिए आवंटित मार्गों पर पेड़ों की कटान को प्राथमिकता देता है। हर साल कोई न कोई नई सड़क चौड़ीकरण परियोजना आ जाती है, जिसके कारण निगम उधर ही व्यस्त रहता है।
वहीं, डीएफओ स्तर पर बहुत खतरनाक पेड़ों का निस्तारण संभव है, लेकिन वे इस जिम्मेदारी को वन निगम के पाले में डाल देते हैं। इस खींचतान का सीधा खामियाजा जिले की जनता को भुगतना पड़ रहा है, जो आए दिन इन जर्जर पेड़ों से होने वाले हादसों का शिकार हो रही है। यहाँ कबीर की साखी “दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय” चरितार्थ होती दिख रही है, जहाँ दो विभागों की खींचतान में जनता पिस रही है।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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