बाराबंकी, यूपी।
बाराबंकी के विकासखंड सिद्धौर क्षेत्र में ईमानदारी से अपना काम करने गए एक कृषि सहायक विकास अधिकारी को दबंग और भ्रष्टाचारी प्रधान प्रतिनिधि ने बेरहमी से पीटा है। आरोप है कि प्रधान प्रतिनिधि ने अधिकारी को जान से मारने की धमकी भी दी और अब उन पर फर्जी ‘हरिजन एक्ट’ का मुकदमा दर्ज कराने का दबाव बना रहे हैं। इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने के प्रशासन के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मनरेगा कार्य की जांच में हुआ हमला
खंड विकास अधिकारी सिद्धौर कार्यालय के पत्रांक संख्या 421 दिनांक 5 जून 2025 के निर्देशानुसार, शनिवार 21 जून 2025 को सुबह लगभग 9:00 बजे योग दिवस के बाद कृषि सहायक विकास अधिकारी राजेंद्र चौरसिया ग्राम पंचायत कोटवा में चाकला तालाब का भौतिक सत्यापन करने और ग्राम पंचायत इनायतपुर में भुइघरे बाबा देवस्थान से सरायमीत संपर्क मार्ग की जांच करने गए थे। इसके उपरांत, वह ग्राम पंचायत लाखुपुर में चल रहे मनरेगा कार्य (अशोक के खेत के पास बंधन निर्माण कार्य) का भौतिक सत्यापन करने पहुँचे। उन्होंने प्रधान के पुत्र को आने से पहले ही इस संबंध में सूचना दे दी थी।
जैसे ही राजेंद्र चौरसिया ने कार्यस्थल पर तस्वीरें लेनी चाहीं, वहाँ मौजूद ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मायाराम रावत और उनके बेटे आगबबूला हो गए। उन्होंने अपना आपा खो दिया और अधिकारी को गंदी-गंदी गालियां देना शुरू कर दिया। इसी बीच, प्रधान प्रतिनिधि मायाराम रावत ने राजेंद्र चौरसिया को जमकर मारा-पीटा और उन्हें सरकारी कार्य में बाधा डाली। उन्होंने धमकाते हुए कहा कि “ज्यादा कुछ करोगे तो तुम्हारे हाथ-पैर तुड़वा देंगे और तुम्हारी हत्या करके यहाँ फेंक देंगे।”
मौके पर नहीं मिले मजदूर, भ्रष्टाचारी प्रधान बौखलाया
जानकारी के अनुसार, मौके पर जांच और सत्यापन करने गए अधिकारी को मनरेगा कार्यस्थल पर एक भी मजदूर काम करते नहीं मिला। आशंका है कि इसी से बौखलाए प्रधान ने अधिकारी के साथ अभद्रता और मारपीट की। मारपीट के बाद प्रधान ने अधिकारी की बाइक की चाबी भी छीन ली और उन्हें बंधक बनाने का प्रयास किया। अपने ऊँची पहुँच का हवाला देते हुए प्रधान अपनी दबंगई पर अड़े रहे।
पुलिस पर दबाव, फर्जी मुकदमे की तैयारी
पीड़ित अधिकारी राजेंद्र चौरसिया ने कोठी थाने में लिखित शिकायत पत्र देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। वहीं, इस घटना की जानकारी जैसे ही क्षेत्र में फैली, हड़कंप मच गया। सरकारी आदमी पर हाथ उठाने का यह मामला पूरे क्षेत्र में गर्माया हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि घटना के बाद प्रधान अपने दर्जनों प्रधानों के साथ थाने में इकट्ठा होकर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे राजेंद्र चौरसिया पर फर्जी ‘हरिजन एक्ट’ का मुकदमा दर्ज कराने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।
यह मामला अब प्रशासन पर सवाल उठा रहा है कि जब ईमानदार अधिकारी जांच के लिए जाते हैं, तो उन्हें इस तरह के हमलों और झूठे मुकदमों का सामना क्यों करना पड़ता है। आम जनता और कर्मचारी भी यही सवाल पूछ रहे हैं कि भ्रष्टाचारियों पर कब नकेल कसी जाएगी ताकि वे दोबारा ऐसी हरकत किसी ईमानदार अधिकारी के साथ न करें।
ईमानदार अधिकारी की ‘पिटाई’ और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
कहा जाता है कि ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को अक्सर ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहाँ उन्हें गलत तरीके से फंसाकर, उनके साथ दुर्व्यवहार करके, उनकी छवि धूमिल करके और उनके आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ करके उनका मनोबल गिराने का प्रयास किया जाता है। सिद्धौर ब्लॉक के लाखुपुर ग्राम पंचायत में हुई यह घटना इसी का उदाहरण है।
इस मामले में ग्राम विकास अधिकारी रवींद्र वर्मा की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिन पर प्रधानों के साथ सांठगांठ कर भ्रष्टाचार को दबाने के आरोप हैं। यह खबर सामने आने के बाद जिले के तेजतर्रार डीएम शशांक त्रिपाठी क्या कार्रवाई करते हैं, यह देखना बाकी है। अधिकारी और कर्मचारी वर्ग भी उम्मीद कर रहा है कि उन्हें न्याय मिलेगा और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई होगी, ताकि वे बिना किसी भय के ईमानदारी से काम कर सकें।
खंड विकास अधिकारी ने क्या कहा?
खंड विकास अधिकारी सिद्धौर विनय मिश्रा से जब इस मामले पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि कृषि सहायक विकास अधिकारी राजेंद्र चौरसिया को लाखुपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्य के सत्यापन के लिए भेजा गया था। उन्होंने पुष्टि की कि प्रधान ने उनके साथ जमकर मारपीट की और बंधक बनाने का प्रयास किया। विनय मिश्रा ने बताया कि प्रधान ने अधिकारी को धमकी दी है कि “अगर आप कहीं शिकायत करोगे तो हम आपके ऊपर फर्जी हरिजन एक्ट का मुकदमा लिखकर नौकरी नहीं करने देंगे। ज्यादा कुछ करोगे तो मैं जान से मरवा कर फेंकवा देंगे। अभी तुम हमारी पकड़ के बारे में नहीं जानते हो।”
विनय मिश्रा ने कहा कि “हमारे अधिकारी और कर्मचारियों के साथ इतना बुरा बर्ताव करने के बाद हम शांत नहीं बैठने वाले हैं। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम खुद डीएम साहब से मिलकर कार्रवाई की मांग करेंगे और भ्रष्टाचारी प्रधान पर नकेल कसेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले को लेकर ग्राम विकास अधिकारी रवींद्र वर्मा को जवाब-तलब करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है। यदि मामले में कोई ढिलाई बरती गई, तो प्रधान सहित ग्राम विकास अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनता से लेकर अधिकारी-कर्मचारियों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या डीएम शशांक त्रिपाठी इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेंगे या इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
रिपोर्ट – आसिफ हुसैन
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Author: Barabanki Express
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