बाराबंकी-यूपी।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्वास्थ्य विभाग की बदहाल व्यवस्था और घोर लापरवाही की एक और शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। यहाँ 108 और 102 नंबर पर दर्जनों बार कॉल करने के बावजूद, करीब चार घंटे की देरी से एंबुलेंस पहुँचने के कारण एक नवजात बच्ची की हालत बेहद गंभीर हो गई। जिला अस्पताल में भी उचित इलाज न मिलने के बाद, परिजनों को मजबूरन उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहाँ नवजात वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।
पूरा मामला रामसनेही घाट इलाके के देवीगंज का है। निखिलेश कुमार अपनी 32 वर्षीय पत्नी कुसुम को प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार शाम करीब 6 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनीकोडर लाए थे। अस्पताल में डॉक्टर की गैरमौजूदगी में, स्टाफ नर्स द्वारा रात करीब 7:45 बजे डिलीवरी कराई गई। डिलीवरी के दौरान नवजात बच्ची के मुँह में गंदा पानी चले जाने से उसकी हालत बिगड़ने लगी।
आधी रात को पहुंची एंबुलेंस, जिला अस्पताल में भी नहीं मिला इलाज
नवजात की हालत गंभीर होते देख स्टाफ नर्स ने रात करीब 8 बजे बच्ची को तत्काल जिला अस्पताल बाराबंकी के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद परिजनों ने एंबुलेंस सेवा 108 पर कॉल कर एंबुलेंस की मांग की। परिजनों का आरोप है कि रात 8:30 बजे से लेकर रात 12 बजे तक, उन्होंने दर्जनों बार 108 और 102 पर फोन किया, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुँची। इस भयावह देरी के चलते नवजात बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
करीब चार घंटे बाद, जब रात के लगभग 12:30 बजे एंबुलेंस पहुँची, तब जाकर बच्ची को जिला अस्पताल ले जाया जा सका। लेकिन परिजनों की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। उनके मुताबिक, जिला अस्पताल में भी नवजात को अपेक्षित इलाज की सुविधा नहीं मिल सकी। इसके बाद, परेशान परिजनों के पास कोई और विकल्प न होने पर उन्होंने बच्ची को शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
फिलहाल, वह मासूम नवजात बच्ची निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। इस घटना ने एक बार फिर आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद

Author: Barabanki Express
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