बाराबंकी-यूपी।
बाराबंकी की धरती पर शुक्रवार की सुबह एक ऐसी दुखद खबर लेकर आई, जिसने हर किसी का दिल झकझोर दिया। बिहार के सीवान से चले धर्मेंद्र महतो अपनी लाड़ली बेटी को लखनऊ से घर लाने की उम्मीद संजोए अवध आसाम एक्सप्रेस में सवार थे। मगर, नियति को कुछ और ही मंजूर था। जहांगीराबाद और बाराबंकी स्टेशन के बीच चलती ट्रेन से अचानक गिरे धर्मेंद्र का सफर अधूरा रह गया, और उनके साथ ही एक परिवार की खुशियों का चिराग भी बुझ गया।
घटना की सूचना मिलते ही राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने मौके पर पहुंचकर घायल धर्मेंद्र को अस्पताल तो पहुंचाया, लेकिन शायद तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिस पिता के आने का इंतजार उनकी लाडली बेटी कर रही थी, उसी पिता का शव जिला अस्पताल की दहलीज पर बेजान पड़ा था।
धर्मेंद्र के पास मिले दस्तावेजों से जब जीआरपी ने उनके परिवार को इस घटना की सूचना दी, तो उनके अपनों पर मानों व्रजपात टूट पड़ा। बाराबंकी पहुंचते ही पोस्टमार्टम हाउस में धर्मेंद्र की पत्नी और बच्चों का बिलखना और रोना-धोना कलेजा चीर रहा था। तीन बेटियां और एक मासूम बेटा अपने पिता को खोकर गहरे सदमे में थे। उनकी चीख-पुकार सुनकर वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। रिश्तेदारों और अन्य परिजनों ने उन्हें संभालने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन इस अचानक आई विपदा के सामने हर ढाँढस कम पड़ रहा था।
लखनऊ में अपनी बेटी का हाथ पकड़कर उसे घर लाने का सपना संजोए निकला यह पिता अब सिर्फ एक याद बन गया है। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा, ताकि वे अपने प्रियजन को अंतिम विदाई दे सकें। लेकिन यह सवाल अनुत्तरित है कि आखिर चलती ट्रेन से धर्मेंद्र महतो कैसे गिरे और क्यों उनकी जिंदगी का सफर यूं अचानक थम गया। पुलिस घटना के कारणों की गहन जांच में जुटी है।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद

Author: Barabanki Express
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