Barabanki: रसौली का ऐतिहासिक अमृत सरोवर बनेगा नौका विहार का केंद्र, मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा

 


बाराबंकी-यूपी।
लखनऊ-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत रसौली का अमर शहीद कामता प्रसाद अमृत सरोवर अब ग्रामीणों और पर्यटकों को नौका विहार का आनंद देगा। खंड विकास अधिकारी (BDO) संदीप कुमार श्रीवास्तव ने मंगलवार को सरोवर के निरीक्षण के दौरान इसमें नाव चलाने के निर्देश दिए हैं, ताकि बच्चों और अन्य ग्रामीणों के बीच सरोवर के प्रति आकर्षण बढ़े।
“अमृत सरोवर” अब बन रहा लोकप्रिय पर्यटन स्थल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जल संचयन के लिए शुरू किए गए ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ अभियान के तहत, बेकार हो चुके पुराने पोखरों और तालाबों को नया रूप देकर अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जा रहा है। BDO संदीप कुमार श्रीवास्तव ने मंगलवार को ग्राम पंचायत रसौली में बने अमृत सरोवर का जायजा लेते हुए कहा कि अमृत सरोवर अब गांवों में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गए हैं। लोग यहां पिकनिक मनाने, घूमने और प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने आते हैं।

उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही ग्रामीणों को यहां नौका विहार का आनंद मिलेगा। सरोवर में रंगीन मछलियों के साथ बत्तखों की चहचाहट भी सुनाई देगी और सुबह की सैर के दौरान पीपल व बरगद के पेड़ों से ताजी ऑक्सीजन मिलेगी।
BDO संदीप कुमार श्रीवास्तव ने सरोवर में मौजूद सुविधाओं को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए ग्राम प्रधान जियाउल हक और पंचायत सचिव रामप्रकाश को जल्द से जल्द नौका की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और ग्राम पंचायत रसौली को एक आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में पहचान मिलेगी। BDO ने यह भी बताया कि मनरेगा योजना के तहत बन रहे तालाबों, खेल के मैदानों आदि का समय-समय पर निरीक्षण किया जा रहा है।
तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध सहस्त्रगंडी तालाब अब “अमृत सरोवर”
मनरेगा योजना के तहत गांव-गांव में बन रहे अमृत सरोवरों में ग्राम पंचायत रसौली का अमर शहीद कामता प्रसाद अमृत सरोवर जनपद का प्रथम अमृत सरोवर बना था। जिस पोखर को अब अमृत सरोवर का रूप दिया गया है, वह पहले सहस्त्रगंडी तालाब के नाम से जाना जाता था।
जानकारों के मुताबिक, प्राचीनकाल में रसौली गांव को हर्षोली गांव के नाम से जाना जाता था। उस समय वहां के राजा भृगु महाराज खत्री थे, जिन्होंने एक तालाब खुदवाया था। उन्होंने देश की सौ नदियों से जल लाकर इस तालाब में प्रवाहित किया था, जिसके कारण इसे सहस्त्रगंडी तालाब कहा जाता था।
इतिहास के अनुसार, वर्ष 1397 में तत्कालीन खत्री राजा भृगु महाराज का विदेशी हमलावरों से युद्ध हुआ और वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी रानी सती ने अपने पति के साथ पवित्र सहस्त्रगंडी तालाब के पश्चिम में एक ऊंचे टीले पर सतीत्व तेज से उत्पन्न स्वतः प्रकट अग्नि में दग्ध होकर आत्मदाह कर लिया था। उनकी याद में उनके वंशजों ने करीब 600 वर्ष पूर्व उसी स्थान पर सती खत्राणी माता के मंदिर का निर्माण कराया। प्रत्येक पूर्णिमा को सैकड़ों भक्त इस मंदिर की परिक्रमा करते हैं। इसके अलावा, यहां एक वर्षों पुराना शिव मंदिर भी है।
यह पोखर पहले से ही एक दर्शनीय स्थल था, लेकिन अब अमृत सरोवर के रूप में विकसित होने के बाद यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। इस मौके पर ग्राम प्रधान जियाउल हक, पंचायत सचिव रामप्रकाश और तकनीकी सहायक अजय वर्मा सहित कई लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट – नूर मोहम्मद

यह भी पढ़ें : Barabanki: घूसखोर दरोगा ने वर्दी को किया दागदार, पीड़ित को ही धमका कर वसूल लिए ₹7000, अब और पैसों की कर रहा डिमांड, दे रहा हाथ-पैर तोड़ने की धमकी, ऑडियो वायरल 

यह भी पढ़ें : UP News: Swiggy फूड बॉक्स में हथियारों की चौंकाने वाली सप्लाई, मुजफ्फरनगर में डिलीवरी बॉय गिरफ्तार, बड़ा खुलासा

Barabanki Express
Author: Barabanki Express

शहर की हर गली से लेकर राजनीतिक गलियारों तक, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, और अपराध से लेकर समाज सेवा तक – बाराबंकी एक्सप्रेस लेकर आता है पल-पल की सच्ची और विश्वसनीय ख़बरें। हमारा मिशन है, आपकी आवाज़ बनना, आपकी समस्याओं को उठाना और आपको अपने शहर के हर पहलू से अवगत कराना। ज़मीनी रिपोर्टिंग और निष्पक्ष पत्रकारिता के साथ, बाराबंकी एक्सप्रेस है आपकी जानकारी का सच्चा साथी।

और पढ़ें

error: Content is protected !!