बाराबंकी-यूपी।
जनपद के थाना बदोसराय क्षेत्र में सोमवार दोपहर एक दुखद घटना सामने आई। रानीपुरवा मजरे मुड़ियाडीह निवासी बलराम यादव (22 वर्ष) पुत्र स्वर्गीय कमलेश यादव, जो अपनी भैंस को नहलाने के लिए घाघरा नदी में गया था, अचानक पैर फिसलने से गहरे पानी में समा गया। इस घटना के बाद से पूरे गाँव में शोक का माहौल है, जबकि नदी किनारे अपने बेटे की वापसी की आस में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
घटना का विवरण: सोमवार दोपहर करीब तीन बजे बलराम यादव अपनी भैंस को नहलाने के लिए घाघरा नदी के किनारे गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, नदी में भैंस नहलाते समय अचानक उसका पैर फिसल गया और वह संतुलन खो बैठा। देखते ही देखते युवक तेज बहाव के कारण नदी की गहराई में चला गया और आँखों से ओझल हो गया। नदी का बहाव तेज होने के कारण युवक तुरंत ही लापता हो गया, जिससे वहाँ मौजूद लोग भी तुरंत कोई मदद नहीं कर पाए।
तत्काल बचाव कार्य शुरू: घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत सक्रिय हुई। बदोसराय थाना पुलिस बल गोताखोरों की टीम के साथ मौके पर पहुँचा और बिना समय गंवाए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। पुलिस और गोताखोरों की टीम गहरे पानी में युवक की तलाश कर रही है।
परिजनों और ग्रामीणों की भीड़: शाम 5:00 बजे तक युवक का कोई सुराग नहीं मिल सका था, जिससे नदी किनारे सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण और बलराम के परिजन इकट्ठा हो गए हैं। हर कोई अपने आँखों के सामने हुए इस हादसे से स्तब्ध है। युवक के माता-पिता और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे बार-बार नदी की ओर देख रहे हैं, अपने बेटे की एक झलक पाने की उम्मीद में। ग्रामीणों द्वारा परिजनों को ढांढस बंधाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन उनका दर्द असहनीय है।
प्रशासनिक अमला मौके पर: स्थानीय प्रशासन भी राहत व बचाव कार्य की निगरानी कर रहा है। राजस्व विभाग के अधिकारी और पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले रहे हैं। गोताखोरों की टीमें लगातार नदी में जाल डालकर और अन्य माध्यमों से बलराम की तलाश कर रही हैं, लेकिन घाघरा नदी के तेज बहाव और गहराई के कारण चुनौती बढ़ गई है। प्रशासन ने हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है।
इस घटना ने एक बार फिर नदी किनारे सुरक्षा और सावधानी के महत्व को रेखांकित किया है। ग्रामीणों का कहना है कि नदियों में स्नान या जानवरों को नहलाते समय विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर मानसून के दौरान जब नदियों का जलस्तर और बहाव तेज हो जाता है।
रिपोर्ट – आफ़ताब अहमद
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Author: Barabanki Express
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