Barabanki: डीएम साहब! बन्दरों के आतंक से घरों में कैद है बचपन, नगर पालिका और वन विभाग के जिम्मेदार नही ले रहे सुध, वैकल्पिक व्यवस्था करने को मजबूर हैं नगरवासी


बाराबंकी-यूपी।
शहर में इस समय बंदरों का आतंक बढ़ गया है, नगर की लगभग हर गली में उत्पात मचाते बंदरो के झुण्ड आपको आसानी से दिखाई पड़ जायेंगे, लेकिन वन विभाग और नगर पालिका प्रशासन को यह बन्दर दिखाई नहीं दे रहे हैं। नगर में आतंक का पर्याय बन चुके ये बन्दर इतने खूंखार हो गये हैं कि भगाने से भी नही भागते भी उल्टे काटने के लिए दौड़ पड़ते हैं। बन्दरों के डर से मासूम बच्चे घरों में कैद हो गये हैं, इनका बचपन अब चारदीवारी में व्यतीत हो रहा है।

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मालूम हो कि नगर पालिका परिषद के आजाद नगर वार्ड में बन्दरों का इतना खौफ हो गया है कि लोग इनसे बचाव के लिए भारी भरकम धनराशि खर्च करके वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि उत्पाती बन्दरो के यह झुण्ड मौका मिलते ही घर के अंदर कमरो में घुस जाते हैं खाद्य सामग्री के साथ-साथ कपड़े, जूते मोजे तक उठा ले जाते हैं। अगर कपड़े सुखाने के लिए धूप में डाल दो तो बन्दर कपड़े फाड़ देते हैं। महिलाएं छतों पर कपड़े सुखाने को डालने के बाद उनकी रखवाली करती हुई नजर आती हैं। वहीं कई घरों की महिलाएं भी बन्दरों के हमले से चोटहिल हो चुकी हैं। बच्चे डर के मारे घर के बाहर खेलने भी नहीं निकल पा रहे हैं ऐसे में उनका बचपन चार दिवारी में ही कैद होकर रह गया है।

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लोगो मे बताया कि गलियों की दीवारों पर बंदर टोलियों के साथ बैठे रहते हैं।गली से राहगीर अकेले नहीं जा सकता है। बंदर हर रोज बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों व महिलाओं को काट रहे हैं। जिससे गलियों में निकलना मुश्किल हो गया है। उत्पाती बन्दर घरो की छतों पर रखी पानी की टंकी तोड़ देते हैं। बिजली के तारों पर लटककर उनको तोड़ देते हैं, जिससे लोगों को घोर परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। बंदरों का आतंक निरंतर बढ़ने से लोग परेशान हैं। नगर पालिका प्रशासन से बार-बार लोग बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। वही निरंतर बढ़ रही बंदरों की संख्या के कारण लोग हजारों रुपए खर्च करके लोहे के जाल लगवाने को मजबूर हो रहे हैं।

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नगर के लोगों का कहना है कि बंदर जंगल के अलावा आस-पास की आबादी में भी रहते हैं। यहां से उन्हें भोजन की प्राप्ति होती है। इसी सिलसिले में वह इधर-उधर भटकते हैं। भोजन न मिलने की वजह से वह चिड़चिड़े होकर हमलावर हो जाते हैं। नगर के लोगों ने कहा कि वन विभाग और नगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि वह बंदरों को पकड़वा कर इनके आतंक से छुटकारा दिलाए। वही इस सम्बंध में जब वन विभाग के डीएफओ को फोन किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद

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Author: Barabanki Express

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