कोठी-बाराबंकी।
सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जहां सरकारी दफ्तरों से प्राइवेट कर्मचारियों को हटाने के लिए कड़े आदेश दे रहे हैं। वही सूबे की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी ज़िले के सिद्धौर ब्लॉक में सीएम योगी के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। यहां खण्ड विकास अधिकारी का ख़ासाम-ख़ास रामू गौतम नाम का प्राइवेट व्यक्ति मनरेगा में एमबी बनवाने समेत अन्य फाइलों में सचिव व प्रधानों से हजारों रुपए की अवैध वसूली कर रहा है। लोगो का कहना है कि बीडीओ सिद्धौर की शह पर काफी लंबे समय से अवैध वसूली का यह गोरखधंधा चल रहा है।
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जी हां, बिना किसी प्रशासनिक आदेश, बिना किसी कॉन्ट्रेक्ट के ब्लाक का सर्वेसर्वा बनकर घूमने वाले रामू गौतम नाम के इस किरदार से ब्लाक के सचिव व प्रधान सब परेशान है। उनकी माने तो देवकली गांव निवासी रामू गौतम कुछ साल पहले चतुर्थ श्रेणी में काम करने आया था। बाद में बीडीओ का मुँहलगा हो जाने पर वो मनरेगा योजना में हस्तक्षेप करने के साथ ही कर्मचारियों की चुगंली करने लगा। बीडीओ की सरपरस्ती हासिल होने के चलते रामू की हैसियत यह हो गई है कि उसके बिना हस्तक्षेप के प्रधानो की मनरेगा एमबी समेत महत्वपूर्ण फाइल आगे नही बढ़ती।
नाम नहीं छापने शर्त पर ब्लाक के कई सचिवो व प्रधानों ने बताया कि रामू की यह गतिविधियां परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरो में प्रतिदिन रिकॉर्ड भी होती है। लेकिन सैय्या भय कोतवाल तो डर काहे का की तर्ज पर उस पर कोई कार्रवाई नही होती। लम्बे समय से ब्लाक में जमा रामू गौतम नाम का यह प्राइवेट व्यक्ति मनरेगा योजना में एमबी करवाता है। इसके बदले हजारों रुपए बीडीओ के नाम पर लेता है। इस निजी कर्मचारी की वसूली से सब परेशान है। लेकिन क्योंकि उसे बीडीओ का संरक्षण है, इसलिए वृंदावन में रहना है तो राधे-राधे कहना है की तर्ज पर प्रधान व सचिव चुप है। मगर वर्तमान में तैनात बीडीओ के छुट्टी पर जाने के बाद पीसीएस अधिकारी पूजा गुप्ता द्वारा बीडीओ का चार्ज लेने से उनमें उम्मीद जगी है।
वही ब्लॉक के जानकार बताते हैं कि पूर्व में इसी तरीके से मिश्रीलाल नाम का व्यक्ति मास्टर रोल बनवाने व ब्लॉक के कार्य में सहयोग करता था। पंचायत चुनाव व अन्य अवसरों पर उसे ब्लाक स्तर पर पास आदि लिखा पढ़ी में दिया जाता था। इसके एवज में ब्लाक से उसे आर्थिक मदद भी मिलती थी। जिसका वह निजी रजिस्टर मेंटेन करता था। कभी-कभार अधिकारियों के हस्ताक्षर भी बनवाता था। बाद में जब उसे ब्लाक से हटा दिया गया तो ब्लॉक में परमानेंट रखने के लिए उसने हाईकोर्ट में अपील कर दी, जो विचाराधीन है।
रिपोर्ट – मन्सूफ़ अहमद
Author: Barabanki Express
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