
नई दिल्ली | 21 जुलाई 2025
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत त्यागपत्र सौंपा।
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा –
“स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ।”
उन्होंने राष्ट्रपति के साथ-साथ प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। साथ ही, अपने कार्यकाल के अनुभवों को “देश की अभूतपूर्व प्रगति का गवाह” बताते हुए गर्व जताया।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में क्या कहा?
अपने त्यागपत्र में जगदीप धनखड़ ने लिखा:
“प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है, और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। संसद सदस्यों से जो विश्वास और स्नेह मिला, वह मेरे लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा है। भारत के वैश्विक उत्थान और उज्ज्वल भविष्य पर मेरा अटूट विश्वास है।”
देश के तीसरे उपराष्ट्रपति जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया
धनखड़ भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया:
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कृष्णकांत (1997–2002): कार्यकाल के दौरान उनका निधन हो गया था।
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वीवी गिरि (1967–1969): राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने हेतु त्यागपत्र दिया था।
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जगदीप धनखड़ (2022–2025): स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया।
धनखड़ का राजनीतिक और निजी सफर
जन्म: 18 मई 1951, झुंझुनू, राजस्थान
शिक्षा:
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प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में
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स्कॉलरशिप से चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल
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बीएससी ऑनर्स – महाराजा कॉलेज, जयपुर
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एलएलबी – राजस्थान यूनिवर्सिटी
वकालत:
राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता
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1987 में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष
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1990 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित
राजनीति:
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राजनीति में प्रवेश चौधरी देवीलाल के प्रभाव से
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1989 में झुंझुनू से लोकसभा सांसद चुने गए
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केंद्र में मंत्री पद मिला
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2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए, 528 वोट पाकर मार्गरेट अल्वा को हराया
इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर कार्यरत रहे
संविधान में अनुच्छेद 67(क) क्या कहता है?
अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति स्वेच्छा से राष्ट्रपति को लिखित पत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। यही प्रावधान धनखड़ ने अपनाया।

विश्लेषण: इस्तीफा और उसके राजनीतिक मायने
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब देश में अगले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज़ हो रही थीं। उनके अचानक त्यागपत्र ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों तक सीमित है या इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक संदेश भी छिपा है।
रिपोर्ट – नौमान माजिद
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Author: Barabanki Express
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